यात्रा संस्मरण
प्रस्तावना काव्यनामा के इस पेज पर ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि मैं किसी अन्य व्यक्ति के लिखे हुए शब्दों या लेख को यहाँ प्रकाशित कर रहा हूं | लेकिन मेरा मानना है कि शब्दों में इतना सामर्थ्य होता है कि वह अपनी जगह ख़ुद ही बना लेते हैं | अब वह जगह चाहे कागज़ के पन्नों पर बनानी हो या पाठकों के मानस पटल पर | पूजा सक्सेना जी के शब्दों में मुझे वह सामर्थ्य बिल्कुल साफ़ दिख रहा था जब मैंने उनके लेख को पढ़ा | उनके इस लेख को पढ़ते समय मुझे हिंदी साहित्य में यात्रा वृतांत के युगवाहक राहुल सांकृत्यायन जी का साहित्य खूब याद आ रहा था | पूजा जी ने शब्दों का चयन बड़ी ही तन्मयता के साथ किया है जोकि इस लेख को और भी असाधारण बना रहा है | - देवेश दिनवंत पाल | ************************************************************* देशाटन शब्द से ही हमें इसके अर्थ का पता चल जाता ह...

Bahut khoob
ReplyDeleteShukriya
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